Sunday 23 October 2011

लघु कथा

अछूत

रामलो जाट गाव रो एक नम्बर रो रुलेट, इण री हर रात न्यारी जगे, कदाई कठे -कदाई कठे !
आज वो सासी बस्ती री सिरमी रो मिजमान हो, सिरमी उण रे खेत माथे मजूरी करे, आज ईज मजूरी मान्गी ही वा !
रामलो सुबे सुबे रात काळी कर घर कानी जावे हो, ईत्ता मे ईज सिरमी री छोरी साईकल सिखता थका रामले रे माय पड्गी, रामलो उण ने गाळ काढता थका बोल्यो-" हट रान्ड अछूतणी, हेन्ग भ्रस्ट कर दियो "!!!!

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